घी के अद्भुत स्वास्थ्य लाभ
8 Amazing Health Benefits of Ghee
घी के अद्भुत स्वस्थ लाभ हैं । बेहतर और स्वस्थ जीवन शैली के लिए प्राचीन आयुर्वेद के रहस्यों पर से पर्दा हटाते हुए आज हम घी के बारे में जानेंगे ।आयुर्वेद का जादुई खाद्य सामग्री घी है, आज हम घी के आठ अमेजिंग बेनिफिट्स बताएँगे जिसको शायद आप नहीं जानतें होंगे। Ghee को संस्कृत में घृत भी कहतें हैं, जोकि दूध से प्राप्त होता है। आयुर्वेद घी को स्वास्थ्यवर्धक खाद्य- वसा के रूप में मानता है ।विभिन्न लाभकारी गुणों के साथ, घी में, खाश कर गाय का घी सबसे बेहतर है, आयुर्वेद में वर्णित घी के कई औषधीय सूत्र हैं, जिनका उपयोग बीमारियों में किया जाता रहा है जैसे बुखार, नेत्र विकार, पाचन विकार आदि में इसका प्रयोग सदियों से होता आया हैं। लोगों में यह ग़लत धारणा है कि घी हमारे शरीर में वसा को बढ़ाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। घी का सही मात्रा में सेवन करना बहुत ही अच्छा मना गया है ।यह सबसे अधिक पौष्टिक तत्वों के रूप में कार्य करता है।
औषधीय घी को केवल चिकित्सकीय देखरेख में लिया जाना चाहिए, हालाँकि, आप दैनिक उपयोग के लिए गाय के घी का उपयोग कर सकते हैं। गाय के घी का जो मौलिक गुण पाचन शक्ति को बढ़ाना । जब हम भोजन के साथ घी का सेवन करतें हैं तो यह पेट के अन्दर जाकर जठराग्नि को तेज कर देता है रो भोजन जल्दी पाच जाता है।इस लिए आधा चम्मच घी आपको दिन के भोजन में और रात्री के भोजन में लेना फायेदे का काम है ।
महर्षि वाग्भट के अनुसार घी का सेवन बौधिक विकास में भी सहयोगी है, यादास्त को बढाता है, शरीर को मज़बूत बनता है, मस्तिष्क को पोषण प्रदान करता है। नर्वस सिस्टम को भी ठीक करता है। आप प्रति रोज़ सोने से दो घंटा पूर्व गाय के दूध के साथ, आधा चम्मच हल्दी और एक चम्मच घी ले सकतें हैं ।
गाय के घी के महत्वपूर्ण फायेदे :
1. कब्ज़ में
घी का एक गुण है कि यह कब्ज़ को भी दूर भागता है, यह एक laxative का कार्य करता है ।
2. शरीर को लचीला बनता है
घी हमारे शरीर में जाकर हमारे शरीर को लचीला बनता है। शरीर का जकरण आज कल यह सामान्य बात हो गया है। जादा तर लोग इस परेशानी से जूझ रहें हैं जिन लोगों के शरीर में अकारण कि समस्या है वे लोग घी का सेवन शुरू कर सकतें हैं।
3. जवानी वापस लता है घी
अगर आप फिर से जवानी वापस चाहतें हैं तो प्रति दिन कम से कम दो चम्मच घी का सेवन शुरू कीजिये और एक चम्मच घी से शरीर में मालिश भी कीजिये । कुछ ही दिनों में आप जवान और तरोताजा महसूस करने लगेंगे।
4. घाव या जलने में प्रयोग
घी में हीलिंग गुण होता है । अगर घाव हो गया हो या फिर जल गया हो आप घी से उपचार कर सकतें हैं । एक चम्मच घी में आधा चम्मच हल्दी मिलकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी ही ठीक हो जाता है।
5. डस्ट अलर्जी में
अगर आप बहार जातें है और डस्ट का सामना करना परता है, फलस्वरूप आपको छींक होने लगता है, साँस लेने में कठिनाई होने लगाती है, और वेचैने जैसा होने लगता हो ,तो इसका मतलब है आप को डस्ट एलर्जी है । इस के लिए क्या करें-आप एक 30 ml वाला होमिओपैथी का बोतल में गाय का घी रख लें और रोज़ रत को सोने से पूर्व गुनगुने पानी में रख कर घी को पिघला लें और दो-दो बूंद दोनों नासिका में डाल लें ।याद रखें घी रूम टेम्परेचर जितना ही गर्म होना चाहिए ।
6. वात-पित्त दोष में
अगर आप भले चंगे लग रहें हैं लेकिन आप में वात पित्त का दोष है तो आपको घी का सेवन अवश्य ही करना चाहिए लेकिन पहले आपको यह समझ लेना आवश्यक है कि वात पित्त दोष के क्या लषण है-
शरीर में रुक्षता यानी रूखापन वात के स्वाभाविक गुण हैं। वात के संतुलित होने से शरीर में रक्त का और मल-मूत्र का प्रवाह ठीक तरह से होता है। वात प्रकृति वाले लोगों में कई लक्षण पाए जाते हैं, जैसे कि शरीर में रूखापन, दुबलापन, धीमी और भारी आवाज़ और नीद में कमी होना।
6. शर्दियों में रुखापण
अगर आपका शरीर शर्दियों के दिनों में रुखा हो जाता है तो आपको गाय के घी का सेवन करना चाहिए ।
7. आँखों के लिए
अगर आप घी का सेवन प्रति दिन करतें है तो यह आपके आँख के लिए भी लाभकारी है । काली मिर्च को पीस कर और एक चम्मच घी में मिलकर सुबह में चाटने से आँखों कि रौशनी बढाती हैं । अगर आप कंप्यूटर पर या मोबाइल पर जादा समय बितातें है और आपका आँख ड्राई हो गया है यानी आपके आँखों में जलन हो रहा हो तो आप घी को पिघला कर, रूम टेम्परेचर पर लाकर, एक-एक बूंद दोनों आँखों में डाल लें, आँखों का जलन ठीक हो जाता है ।
"काली मिर्च को पीस कर,घी बुरा संग खाय ।
नेत्र रोग सब दूर हों,गिद्ध-दृष्टी हो जाय । ।
घरेलु नुश्खे :
एक चम्मच घी में एक चम्मच पीसा हुआ कलि मिर्च और उसमे दो कलि कली मिर्च को पीस लें और तीनो को मिलकर चाट-चाट कर खाएं उसके बाद एक गिलास गुगुना दूध पी लें , ऐसा करने से आँखों कि रोशनी बढ़ जाती है । अगर आप कंप्यूटर पर जादा काम करतें हैं तो आपको यह घरेलु नुश्खा अपनाना चाहिए ।
8. कामोत्तेजना बढ़ाने में
घी कामोत्तेजक होता है । अगर आप सेक्सुअली कमजोर है तो आपको तुरंत घी का सेवन दोनों टाइम शुरू करना चाहिए । जिसके कारण आपका वैवाहिक जीवन भी ठीक रहेगा ।
याद रखें :-
पिघला हुआ घी उपयोग करतें समय कमरे के तापमान में होना चाहिए। आंखों के लिए एक प्रसिद्ध, प्रभावी चिकित्सीय प्रक्रिया है जिसे आयुर्वेद में तर्पण कहा जाता है।
इस प्रक्रिया में औषधीय घी का उपयोग किया जाता है, यह आसान और दर्द रहित तकनीक है।
तर्पण के लिए सिर्फ़ 15-20 मिनट की आवश्यकता होती है। तर्पण का उपयोग आँखों को शुद्ध करने के लिए किया जाता है, आंखों को पोषण देने के लिए इसका नियमित उपयोग दृष्टि को सही करता है।
चिकित्सा देखरेख में गाय के घी से जुड़ी कुछ मुख्य सावधानियाँ हैं:-
पीलिया में घी से परहेज करना चाहिए, हेपेटाइटिस फैटी लिवर में बदलाव होना चाहिए और मोटे व्यक्ति को इसके सेवन से बचना चाहिए। घी को सर्दी, खांसी, साइनसाइटिस में नहीं लेना चाहिए।
घी का सेवन कब नहीं करना चाहिए ?
एक बात जो मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि यदि आप अपच कि समस्वयाओ से ग्हरसित हैं तो आपको घी का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
आखरी बात ,
शहद और घी बराबर मात्रा में कभी नहीं लेना चाहिए.
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