पाकड़ के पेड़ के चमत्कारी फायदे
Miraculous Benefits of Pakad tree
भारतवर्ष में #पाकड़ के पेड़ के नाम से आम तौर पर जाना जाने वाला यह पेड़ गाँव के सडकों के किनारे गाँव या मोहल्लों या घर के सामने छाया के लिए लगाया जाता है। इसको साधारण रूप से पाकड़ के अलावा पकडिया कहा जाता है।
पाकड़ के औशाधिये गुण:-
Herbal Properties of Pakad:-
आधारभूत दृष्टी से अगर माने तो इसके मूल औशाधिये गुण शीतलता प्रदान करने वाला, काफ दोष और पित्त दोष को नाश करने वाला होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कोई भी धर्मीक कार्य अगर पाकड़ के पेड़ के नीचे किया जाए तो यह विशेष फल देता है। मान्यता के अनुसार घर से उत्तर की तरफ़ पाकड़ का पेड़ लगाना शुभ होता है।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार पाकड़, पीपल और बरगद के समूह को हरिशंकरी कहा गया है और इन तीनो पेड़ों को लगाना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।
यह पेड़ पिलख के नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेज़ी में इस वनस्पति को फिग-ट्री (Fig-Tree) कहा जाता है। नेपाल में इस पेड़ को "सफ़ेद-काबरा" बोला जाता है। उड़िया में "जरी" और संस्कृत में #पर्कटी / #प्लक्ष / #भिदुर और #राम-अंजीर कहा जाता है।
#प्लक्ष का मतलब होता है तीर्थ, पाकड़ के पेड़ की छाया इतना मधुर और आनंददायी होता है जिसके इसका नाम प्लक्ष पड़ा और कालांतर में प्लक्ष का अपभ्रंश बना पिलखन। आपके यहाँ इस पेड़ को किस नाम से बुलाया जाता है हमें कमेन्ट करके ज़रूर बताएँ।
ज्योतिष विज्ञान में भी पाकड़ के पेड़ का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। गृह-नक्षत्रों के दोष-निवारण में भी पाकड़ के पेड़ का उल्लेख मिलाता है।
यह एक छायेदार पेड़ होने के साथ-साथ उच्च कोटि का आयुर्वेदिक औषधि है जिसका वर्णन महर्षि पतंजलि के द्वारा किया गया है।
यह एक दुधिया वनस्पति होता है, इसकी पट्टी तोड़ने पर दूध निकलता है। इसके फूल गुलर जैसे और फल पीपल के फल की भांति होते है। इसके फल को पकुआ कहा जाता है और पकने के बाद खाया जाता है जो बहुत ही पुष्टिकारक होता है और इसका अचार भी बनाया जाता है।
स्वेत प्रदर (Leukorrhea) -
ल्यूकोरिया को हिन्दी में स्वेत प्रदर कहा जाता है। इस रोग में स्त्रियों की योनी से गढ़ा सफ़ेद रंग का तरल पदार्थ का स्राव होता है जो दुर्गन्ध युक्त होता है। भारत में यह एक औरतों का आम समस्या मन जाता है। इस बीमारी के लिये पाकड़ के छाल का काढ़ा लाभ देता है।
रक्त प्रदर (Intermenstrual bleeding) -
स्त्रियों के मासिक-धर्म के दौरान जब अत्यधिक रक्त-स्राव होने लगता है और कभी-कभी तो कई दिनों तक होता है जेसके परिणाम स्वरुप स्त्रियों में कमजोरी होना, चक्कड़ आना, चेहरा पीला हो जाना और बेहोशी तक आ सकता है।
ऐसी परिस्थिति में पाकड़ के छाल का प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है। आप इस वनस्पति के छाल का प्रयोग किसी भी रूप में कर सकतें हैं। आप इसके चूर्ण का सेवन कर सकतें हैं या काढ़ा बनाकर पी सकतें हैं।
घाव के लिए रामवाण है पाकड़-
जिनको लम्बे समय से घाव ठीक नहीं हो रहा हो उनको पाकड़ के छाल का काढ़ा पीना फायेदेमंद होता है।
दांतों का दर्द (Toothache) -
इसके छाल का काढ़ा बनाकर मुंह में 2-3 मिनट रखकर थूक दें। लेकिन इस क्रिया को बार-बार करना चाहिए तबतक, जबतक की दांतों का दर्द चला न जाए।
इसके छाल का चूर्ण भी इस कार्य के लिए उत्तम होता है। इसका प्रयोग करना आसान भी होता है।
रक्त-पित्त को दूर भगाता है: Removes bile from blood
जब शरीर में अग्नि-तत्व और जल तत्व का संतुलन बिगड़ जाता है तब पित्त दोष पैदा लेता है और जब इसका प्रभाव खून तक पहुँचता है तब रक्त-पित्त दोष का जन्म होता है। इसका दुष्प्रभाव पेट पर, स्वाभाव पर और त्वचा पर पड़ता है, पेट की समस्याओं में कब्ज़, अपच और गैस की समस्या उत्पन्न होने लगतीं है साथ ही त्वचा का रुखापन और स्वाभाव चिडचिडा हो जाता है।
पाकड़ के छाल का काढ़ा बनाकर पीने से रक्त-पित्त दोष से मुक्ति मिल जाती है। क्योकि पाकड़ शीतल ताशिर का होता है।
कट जाने पर: When cut
यदि कहीं थोडा कट जाय तो पाकड़ के छाल का चूर्ण घाव पर छिड़क दें, खून निकलना तुरंत बंद हो जाता है।
त्वचा में जलन: skin irritation
पाकड़ के छाल को घी में पीस कर लगाने से त्वचा की जलन ठीक हो जाती है साथ ही त्वचा सम्बन्धी अनेक रोग भी ठीक हो जातें है।
पसीने की दुर्गन्ध ठीक होती है- Decreases Sweat bad Smell
पाकड़ की छाल को उबाल कर नहाने लायक ठंढा करके नहाने से पसीने की बदबू कुछ ही हफ़्तों में चली जाती है।
शरीर के हड्डियों के लिए फायेदेमंद है: Body is beneficial for bones
पाकड़ के छाल का काढ़ा हफ्ते में दो-तीन बार पीने से शरीर की हड्डियाँ मज़बूत होती हैं।
पाकड़ के कलि का अचार कैसे बनातें हैं?
How to make pickle of Pakadi Kali?
step-1
पाकड़ की कलि को साफ़ पानी से दो-तीन बार धो लें।
step-2
थोडा नमक दाल कर प्रेस्सर कूकर में उबाल लें।
step-3
उबलने के बाद ठंढा होने दें उसके बाद उसको पानी से निकाल कर पानी सूखने दें।
step-4
कराही में सरसों का तेल ज़रूरत के अनुसार गर्म करें और उसमें जीरा, सोंफ, हिंग और हल्दी पाउडर डाल कर तेल में तड़का लगाएँ।
step-5
फिर पाकड़ की कलि को उस गर्म तेल में हलकी आँच में भुने और ज़रूरत के अनुसार नमक डालें।
step-6
]जब उसका रंग बदल कर हलके भूरे रंग का हो जाए तो इसमें अचार वाले मसाले-जैसे अदरक + मिर्च पाउडर + धनियाँ पाउडर + लहसुन+ आमचूर+ ग्रीन चिल्ली इत्यादि अपने स्वाद के अनुसार मिलाएँ।
step-7
किसी सीसे या स्टील के बर्तन में डाल कर सात दिनों तक धूप में सुखाये।
step-8
उसके बाद एयर-टाइट शीशे के बर्तन में डाल कर उसमे ज़रूरत के अनुसार कच्चा सरसों का तेल मिलकर रखे और प्रयोग करें।
1 comments:
Click here for commentsइसे पिलखन नाम से भी जाना जाता है।
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